त्योहारों पर होने वाले सांप्रदायिक मामलों में सीधे तौर पर विवाद की जड़ रास्ता ही होता है। रामनवमी जुलूस में हुए बवाल में भी प्रशासन ने इसी वजह से रोक लगाई। पुलिस प्रशासन की दलील थी कि मुस्लिम आबादी का इलाका है, दिक्कत हो सकती थी। रामभक्तों का सीधा टकराव प्रशासन से हुआ। पहले भी सौहार्द बिगाड़ने वाले मामलों में विवाद के पीछे रास्ते ही वजह रहा।
फतेहपुर बवाल में 50 के खिलाफ मुकदमा, हालात तनावपूर्ण
फतेहपुर में सिपाहियों की नासमझी से रामनवमी के जुलूस की वापसी में बवाल हो गया। इस मामले में दूसरे दिन 4 को नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। सीओं के सिर में चोट लगने से वह घायल बताए जा रहे हैं।
दरअसल, झूलूस को जिस रूट से आए थे, उसी रूट से वापस ले जाने की बात कहने पर पुलिसकर्मियों ने एक व्यापारी नेता को पीट दिया था। इससे गुस्साए व्यापारियों ने हंगामा कर दिया। पुलिस ने भी लाठियां भांजी। बाद में पत्थरबाजी भी हुई।
पत्थर लगने से सीओ सदर घायल हो गए।
रात लगभग साढ़े 11 बजे पत्थरकटा से आने वाला जुलूस उसी रास्ते से वापस जाने लगा तो वहां पुलिसकर्मियों ने रोक दिया। इनका कहना था कि पत्थरकटा मुसलिम बहुल है और वहां पर फोर्स ज्यादा न होने से कोई अप्रिय घटना हो सकती है। इस पर व्यापारियों और जुलूस में शामिल लोगों ने कहा कि जब इसी मोहल्ले से आए हैं तो जाने में क्या हर्ज है।
बताया जाता है कि इसी बात पर कुछ सिपाहियों ने व्यापारी नेता सत्यभगवान गुप्ता की पिटाई कर दी थी। इसके बाद बवाल हो गया। सूचना पाकर पहुंचे सीओ सदर समर बहादुर सिंह ने भीड़ को समझाने की कोशिश की। इस दौरान एक पत्थर उनके सिर में जा लगा। फिलहाल कोतवाली में मौजूद व्यापारियों को समझाने की कोशिश की देर रात तक चलती रही।
रास्तों का बवाल
जहानाबाद मकर संक्राति रूट बवाल
जहानाबाद थाना क्षेत्र के बेहद संवेदनशील जनवरी 2016 मकर संक्राति जुलूस के बाद हो गया। यहां मकर संक्राति जुलूस में मसजिद के सामने डीजे बजाने और उसी रास्ते से जुलूस निकाले जाने का विरोध होने पर पक्षों के बीच बवाल हुआ था। आगजनी, मारपीट, तोड़फोड़, फायरिंग तक हुई। विवाद मात्र मसजिद और मुस्लिम बस्ती के बीच से जुलूस निकालने का रहा। यहां के हालातों को सामान्य करने में कमिश्नर, आईजी, डीआईजी को दस दिन लग गए थे। इसके बाद साल के हर त्योहार पुलिस, पीएसी बल के साये में संपन्न होते हैं।
कब खत्म होगा रूट का विवाद
शहर के चौक चौराहे रामनवमी बलवे में हिंदू संगठनों के सदस्यों की पिटाई ने दो दशक पहले सत्तारूढ़ बीजेपी के सांसद के साथ हुई घटना की याद ताजा कर दी है। उस वक्त खखरेरू पुलिस ने सांसद की बेरहमी से पिटाई की थी।
बता दें कि दो दशक पहले देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। उस वक्त जिले के सांसद डाक्टर अशोक पटेल चुने गए थे। खखरेरू थाना क्षेत्र में दो पक्षों के बीच बवाल की सूचना पर सुलह कराने गए थे। पुलिस ने सांसद पर ही बवाल बढ़ाने का आरोप लगाकर पिटाई की थी। सांसद घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हालात यह थे कि पुलिस के कोपभाजन का शिकार होने से बचने के लिए छिपकर रात गुजारनी पड़ी थी। सांसद ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्हें इंसाफ पाने के लिए सत्ता के बावजूद लंबे वक्त का इंतजार करना पड़ा था।